मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा सेक्टर 78 का 'द हाईड पार्क'


सेक्टर 78 स्थित द हाईड पार्क मूलभूत सुविधाओं से वंचित सोसाइटी हो गयी है। अगर बिंदुवार सोसाइटी की शिकायतों शुरू करें फेहरिस्त बहुत ही लंबी जाएगी। कुछ दिन पहले नोएडा में आधे घंटे की बारिश हुई थी, इस बारिश में हाईड पार्क का पूरा पार्किंग बेसमेंट एरिया जैसे बहता हुआ नज़र आ रहा था। चारो तरफ पानी नज़र आ रहा था साथ ही बेसमेंट की हर जगह से दीवार, छत या पाइप से पानी बाह रहा था। वहां के रेजिडेंट के मुताविक पिछले साल बारिश में बेसमेंट पार्किंग में गाड़ियों तक पहुंचना नामुमकिन हो गया था क्यूंकि वहां घुटने भर पानी भर गया था। पानी भरने के कारण वहां से बिमारियों का डर बढ़ जाता है। ये हर साल का नज़ारा है लेकिन बिल्डर आँख मूँद कर बारिश ख़त्म होने का इंतज़ार करते हैं। यहाँ के बेसमेंट में बिना बारिश के भी बरसात इनके फायर हाईड्रेंट के पाइप से होता रहता है, जिसका स्थायी उपाय ये आजतक नहीं ढूंढ पाए हैं। जिस कारण भी बेसमेंट में जलजमाव हमेशा रहता है। 

हाईड पार्क के निवासी सोसाइटी के अंदर आवारा कुत्तों से भी बहुत परेशान हैं। कई बार ये कुत्ते इन बच्चों को काट चुके हैं। जब भी मैनेजमेंट के लोगों से इस बारे में बात की जाती है तो बस कार्रवाई करने का आश्वासन दे कर मामले को ताल दिया जाता है। ये कुत्ते खुलेआम यहाँ के सेंट्रल पार्क और किड्स प्ले एरिया में घूमते रहते हैं और मौका मिलने पर कई बच्चों को अब तक घायल कर चूका है। जिसकी शिकायत कई बार मैनेजमेंट को की गयी है लेकिन आज तक इसका कोई परिणाम नहीं निकला। अन्ततः यहाँ के निवासियों ने खुद ही एक NGO के साथ मिल कर इस काम को अंजाम दिया, जिससे बच्चों में इन आवारा कुत्तों को लेकर व्याप्त भय समाप्त हो। 

बेसमेंट में बहते पानी से परेशान निवासी अपने फ्लैट में भी बहते हुए पानी से परेशान हैं। यहाँ आयदिन किसी के घर में कोई पाइप फुट जाता है जिससे घर के हर कमरे और दीवार में पानी भर जाता है। जिससे फ्लैट मालिक को हज़ारों लाखों का नुकसान तक हो जाता है। घरों के वुडेन फ्लोर, कांसेप्ट वॉल पूरी तरह से खराब हो जाते हैं। अगर घर में ताला लगा हुआ है तो आस-पास के सामान का नुकसान तक भी उठाना पड़ जाता है। लेकिन यहाँ बात यहीं ख़त्म नहीं होती है कई बार तो घर के इलेक्ट्रिक पैनल तक से पानी बहता है, ( वीडियो नीचे है)

जो कि फ्लैट में रह रहे लोगों के लिए कभी भी जानलेवा हो सकता है लेकिन यहाँ के स्टाफ कान में तेल डाले हुए हैं। कई बार इनसे इन समस्याओं को दूर करने का अनुरोध किया जा चूका है, कई बार रेजिडेंट मीटिंग में इन मुद्दों को उठाया गया है लेकिन आज तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। 


आजकल रेजिडेंट बिल्डर के अवैध निर्माण से भी नाखुश हैं जो सोसाइटी कैंपस में कुछ लोगों द्वारा मंदिर के नाम पर बिल्डर के संरक्षण  रहा है। हाईड पार्क रेजिडेंट के मुताविक एक तरफ बिल्डर नोटिस लगाती है कि किसी भी प्रकार के अवैध निर्माण में हमारा कोई सहयोग नहीं है और इस तरह की हर कार्रवाई का विरोध होगा और रोका जायेगा। लेकिन दूसरी तरफ बिल्डर बड़े बड़े ट्रक और क्रेन निर्माण के सामान के साथ अंदर दाखिल करवाता है। सोसाइटी के कुछ लोगों ने बिल्डर से इसके खिलाफ शिकायत की लेकिन बिल्डर बस वही 'ढाक के तीन पात' वाला जवाब दे दिया। 

दरअसल सोसाइटी रेजिडेंट के मुताविक यहाँ किसी भी प्रकार का निर्माण सुरक्षित नहीं है क्यूंकि जहाँ इसका निर्माण हो रहा है यहाँ डबल बेसमेंट है, साथ ही वहां से पिलर डालने की कोई जगह नहीं है। यहाँ जो मूर्तियां भी राखी गयी है उनका वजन बहुत अधिक है और बिना किसी सर्टिफाइड इंजिनियर के सर्टिफिकेट  के निर्माण शुरू कर दिया गया गया। निवासियों के मुतविक ये मैडिटेशन ज़ोन था जिस पर अवैध कब्ज़ा बनाया जा रहा है बिना नोएडा अथॉरिटी के अनुमति के। इसलिए  ये लोग नोएडा अथॉरिटी से संपर्क कर वहां से इस अवैध निर्माण की चिट्ठी नोएडा प्रशासन के नाम ज़ारी करवाई। जिसमे अथॉरिटी ने आदेश दिया कि 'ये निर्माण अवैध है इसपर अविलम्ब कार्रवाई की जाय' और कई बार पुलिस भी काम रुकवाने आयी लेकिन उसके बावजूद यहाँ अवैध निर्माण का काम धड़ल्ले से चल रहा है।

हाईड पार्क में लोगों ने 2015 से शिफ्ट होना शुरू किया था।  जिसमे टॉवर A B C D में लोगों का सबसे पहले शिफ्ट होना शुरू हुआ था।  बांकी के टॉवर में लोग 2017-18 तक शिफ्ट होते रहे।  फिर भी यहाँ के बाहरी दीवारों की हालत ऐसी दिखने लगी है जिससे लगता है कि सोसाइटी 20-25 साल पुरानी हो।  रेजिडेंट में इतना भय व्याप्त है कि कभी भी कहीं से भी प्लास्टर का टुकड़ा उनके ऊपर गिर सकता है।  पिछले कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं।  कई बार छोटे-छोटे बच्चे प्लास्टर के गिरने पर घायल होने से बाल बाल बचे हैं।  यहाँ आयदिन प्लास्टर गिरने से  कार बुरी तरह छतिग्रस्त होती रहती हैं।  यहाँ के निवासियों ने कई बार शिकायत की लेकिन स्थिति वैसी ही बनी हुई है। 


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